गुंजिया की मिठास
फागुन मास में पड़ने वाली होली का त्यौहार वैसे तो रंगों का त्यौहार कहा जाता है परंतु इसमें अगर गुजिया ना हो तो यह त्यौहार फीका नजर आता है आज पूरे उत्तराखंड के साथ-साथ राजधानी दून में भी हर जगह मिठाई की दुकानों में गुजिया की शोभा देखते हुए पता चल जाता है कि होली का त्यौहार आ गया है ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जो गुजिया ना खाना चाहता हूं यहां हलवाई की दुकान में कहीं प्रकार की गुजिया बनाई जा रही है जैसे चाशनी वाली ड्राई फ्रूट की सूखी हुई समोसा के रूप में वंही व्यापारी का कहना है कि होली पर गुजिया अपना एक खास महत्व रखती है और लोग इसको पसंद भी खूब करते हैं इसके बिना होली का त्योहार अधूरा माना जाता है। वही दुकानदार अरुण गोयल ने बताया कि सरकार द्वारा त्योहारों के समय पर ही मावा और अन्य सामग्री के सैंपल के लिए छापेमारी करती है जिस कारण ग्राहकों में एक खौफ पैदा हो जाता है और वह लोग सामान खरीदने से कतराते हैं इस कारण भी त्योहारों पर व्यापार पर खासा असर पड़ता है इस पर उन्होंने बताया कि हमारा संस्थान 80 वर्ष पुराना है और लोगों में इस संस्थान पर पूरा विश्वास है इस कारण हमारे यहां देसी घी से लेकर डालडा और कई प्रकार की गुजिया जिसमें चंद्रकला समोसा और इस बार ग्राहकों के लिए कांजी बड़ा चुकंदर की कांजी और छाछ का पल्ला भी उपलब्ध है जिसको होली पर खास कर पसंद किया जाता है।